गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के मुख्य प्रवर्तक है | गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (Sarnath) में दिया था | सारनाथ आज बुध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है |
गौतम बुद्ध के प्रथम उपदेश क्या थे (First sermons of gautam buddh)
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात भगवान् बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को दिया था | यह पांच शिष्य थे कौडिन्य, वाप, भद्दीय, अस्सजी, महानाम थे |
गौतम बुद्ध ने अपने प्रथम उपदेश में “धम्म चक्र प्रवर्तक” का उपदेश दिया था | बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार का प्रारंभ हुआ था |
गौतम बुद्ध ने अपने प्रथम उपदेश में चार आर्य सत्यो को बताया है |
दुःख क्या है?
गौतम बुद्ध ने कहा है की यह संसार दुखो से भरा हुआ है | यहाँ प्रत्येक इंसान दुखी है | कोई मृत्यु से दुखी है कोई जन्म से दुखी है सभी किसी न किसी प्रकार से दुखी है |
दुःख का कारन क्या है?
गौतम बुद्ध ने कहा है की संसार में सभी के दुखो का कारण उसकी तृष्णा है | मनुष्य की तृष्णा उसकी इच्छाएं उसे दुःख देती है | मनुष्य जब किसी चीज़ की इच्छा करता है और वह उसे नहीं मिलती तो मनुष्य दुखी होता है |
दुःख का निदान कैसे करे?
गौतम बुध के अनुसार दुःख का नदान तभी संभव है जब मनुष्य अपनी सभी तृष्णा का नाश कर दे |
दुःख के निदान का मार्ग क्या है?
दुःख के निदान के लिए गौतम बुद्ध ने आठ मार्ग बताये है –
यह आठ मार्ग है –
सम्यक दृष्टि – मनुष्य को अपनी तृष्णा का नाश कर देना चाहिए | मनुष्य के दुखो का कारन नष्ट हो जायेगा |
सम्यक संकल्प :- इसमें गौतम बुद्ध कहते है की मनुष्य को भोग विलास का त्याग करना चाहिए |
सम्यक सत्य :- मनुष्य को सदैव सत्य बोलना चाहिए |
सम्यक वाक्- मनुष्य को सदैव सत्य बोलना चाहिए |
सम्यक उद्योग :- अपनी जीविका अर्जन ईमानदारी से करना |
सम्यक व्यायाम :- मन में आने वाले सभी कुविचारों का नाश करना |
सम्यक स्मृति :- सम्यक स्मिरीति गौतम बुद्ध कहते है की मन में सदैव अच्छी स्मृतियों को हो रखना चाहिए |
सम्यक समाधी :-मनुष्य को सदैव अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए |
गौतम बुद्ध के दर्शन के सिद्धांत (Teachings of Buddha)
गौतम बुद्ध ने बौद्ध दर्शन के तीन मुख्या सिद्धांत बताये है –
अनीश्वरवाद :-
दुनिया ईश्वर की सत्ता पर नहीं चलती है बल्कि कारन कार्य की श्रृंखला पर चलती है | न कोई संसार को उत्पन्न करता है न कोई नष्ट कर सकता है |
अनात्मवाद :-
गौतम बुद्ध के अनुसार आत्मा नहीं है | जिसे हम आत्मा समझते है वह चेतना है | निर्वाण की अवस्था में ही स्वयं को पहचाना जा सकता है | मृत्यु के बाद चेतना महा सुसुप्ति में सो जाती है |
क्षणिकवाद :-
संसार में मौजूद सभी तत्व क्षणिक है कुछ भी स्थाई नहीं है वह चाहे प्रेम हो या क्रोध, जन्म हो या मृत्यु |
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